नागपुर…
बिहार विधानसभा चुनाव में, बहुजन नेता, अलग-अलग चुनाव लड़कर, कहीं ना कहीं ,भाजपा मनुवादियों को ही मजबूत करने का पाप नहीं कर रहे हैं ॽ,,,, विजय बौद्ध, संपादक दि बुद्धिस्ट टाइम्स भोपाल ,मध्य प्रदेश 942475 6130 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,डॉ बाबासाहेब आंबेडकर एवं काशीराम के आदर्शों की दुहाई देने वाले बहुजन नेता, बिहार विधानसभा चुनाव में एक संयुक्त मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ने के बजाय अलग-अलग चुनाव लड़कर, क्या मनु वादियों को भाजपा को मजबूत करने का पाप नहीं कर रहे हैं ॽलोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी और औवसी की पार्टी गठबंधन के साथ चुनाव लड़ी थी। अब बिहार विधानसभा चुनाव में औवसी ,बहुजन समाज पार्टी की मायावती और उपेंद्र कुशवाहा के साथ में है। और प्रकाश अंबेडकर पीडीए के नेता पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन और आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर के साथ,,, वही तेजस्वी यादव , कांग्रेस राहुल गांधी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं ।काश यदि यह स्वयंभू अंबेडकरवादी नेता, काशीराम को अपना आदर्श मानने वाले बहुजन दलित नेता एक संयुक्त मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ते, तो निश्चित इनके मोर्चे को कई सीटों पर जीत हासिल होती। और निश्चित भाजपा मनुवाद की हार होती। परंतु ऐसा जानबूझकर या सुनियोजित षड्यंत्र के तहत नहीं किया गया। कहीं ऐसा तो नहीं है कि बहुजन दलित नेताओं को भाजपा ने ही मनचाहा धन देकर वोट काटने चुनाव मैदान में उतारा हैॽ तब तो दलित नेता हवाई जहाज पर चुनाव प्रचार कर ,आलीशान होटलों में डेरा डाले हुए हैं ।अब मुझे नहीं लगता कि डॉक्टर अंबेडकर एवं काशीराम के आदर्शों की दुहाई देने वाले ,दलित नेता कभी संगठित हो पाएंगेॽ और कभी मनुवाद को खत्म कर पाएंगेॽ बल्कि मुझे अब लगता है, कि हमारे नेता अंबेडकरवाद की आड़ में मनुवाद की ही जड़े मजबूत करने का ही पाप कर रहे हैंॽ मैं वामन मेश्राम, मायावती और प्रकाश आंबेडकर ,को 30 वर्षों से देख रहा हूं। और समझ भी रहा हूं। यदि इनका अंबेडकरवाद को मजबूत बनाने का एजेंडा था ।ब्राह्मणवाद को खात्मा करने की लड़ाई थी। तो दो सांसद सीटों वाली भाजपा विगत 2014 से केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर मनुवाद यह ब्राह्मणवाद की जड़ें मजबूत कैसे हो गई .
प्रतिकार न्यूज